मूलभत सुविधाओं से शहर वंचित
दीपावली पर किया लोगों को बेघर
-श्रीमती अर्चना जायसवाल
‘‘शहर के विकास के लिए बलिदान और त्याग जरूरी है पर उसकी इतनी जल्दी थी कि प्रशासन लोगों को दीपावली की मोहलत भी नहीं दे पाया । दीपावली पर किया लोगों को बेघर।’’
मूलभूत सुविधायें (स्वास्थ्य केन्द्र, फ्लाय ओवर, बस स्टैंण्ड, खान नदी शुद्धिकरण, नावदापंथ-राजेन्द्रनगर ब्रिज, कचरा मुक्त शहर, शौचालय निर्माण) तो दे न सकें । यह वही प्रशासन है जो आज तक केशरबाग ब्रिज पूरा नहीं कर पाया, राजेन्द्र नगर ब्रिज नहीं बना पाया, शहर को कचरे और धूल मिट्टी से मुक्त नहीं करा पाया, यातायात की समस्या नहीं सुलझा पाया, अन्य अतिक्रमण को नहीं हटा पाया, अच्छे बस स्टैंण्ड नहीं, बी.आर.टी.एस. पर टाॅयलेट्स नहीं, एम.वाय. हास्पिटल की स्थिति किसी से छुपी नहीं है, स्वाईन फ्लू लैब नहीं, महिला मरीज लिफ्ट में मर गई, बच्चे चोरी हो रहे है । परन्तु संवेदनहीन शासन-प्रशासन को घर तोड़ना जरूरी लगा । यदि शासन-प्रशासन कर सकता है तो आठ दिन में सिर्फ शहर को आवारा पशु और कचरे से मुक्त करके दिखाए’’ - उपरोक्त कथन श्रीमती अर्चना जायसवाल ने कहे ।
श्रीमती जायसवाल ने कहा कि ‘‘नगर निगम मानवता के नाते ही दीवाली तक रूक जाता, ऐसी कैसी सोच कि दीवाली के 6 दिन पहले लोगों को बेघर किया । इन्दौर को मूलभूत सुविधायें तो दे न सकें । आज अहिल्या माता भी सोच रही होगी कि मेरे इन्दौर को क्या हो गया? ऐसा कैसा शासन और कैसे शासक जिसे अपनी जनता की चिंता तक नहीं, महिला मेयर-महिला सांसद, ‘‘दीवाली’’ का महत्व समझने वाले लोगों ने ही लोगों का दीवाला निकाल दिया’’ ।
महापौर मालिनी गौड़ जवाब दे कि दीपावली के 5-6 दिन पूर्व अचानक ये तोड़-फोड़ की कार्यवाही क्यों?
पिछले 20 वर्षों से नगर निगम से लेकर विधायक मंत्री और प्रदेश में भाजपा सरकार होने के बावजूद अतिक्रमण के लिए जिम्मेदार कौन?
त्यौहार सिर पर और लोगों के मकान तोड़ उन्हें सड़क पर खड़ा कर दिया । ये कैसा विकास? इन्दौर के हाल-बदहाल हमारे पुराने दिन लौटा दो हमें ये दिन नहीं चाहिये ।