निर्भया के दोषी को रिहा कर दिया जाए। इस निर्णय का विरोध करते हुए श्रीमती अर्चना जायसवाल ने कहा कि अत्यंत आश्चर्य की बात है कि इस जघन्य घटना के इतने समय बाद भी केंद्र सरकार इस विषय में कानून मे आवश्यक बदलाव नही करके टालमटोल कर रही है। न्यायालय को संपूर्ण सम्मान देते हुए हम सब महिलाऐं चाहती है कि ऐसी कुछ व्यवस्था कि जाये कि यह जघन्य आरोपी रिहा होकर अन्य महिलाओं के लिये खतरा न बन जायें।
सुश्री चतुरा रास्कर ने कहा वह एक नाबालिग है इसलिए उसे सजा नही दी जाएगी। क्या यह न्याय है? क्या यह निर्णय लेकर इस तरह के अपराधों को बढ़ावा नही दे रहा? यह न्याय नही मखौल है। एक विकृत मानसिकता वाले दरिंदे के द्वारा किया गया जघन्यतम अपराध जिसने पूरी स्त्री जाति के सम्मान के साथ खिलवाड़ किया उसे सिर्फ इस आधार पर छोड़ दिया जाए क्योंकि वह नाबालिग है। अपराध, अपराध होता है- तो सजा के लिए उम्र क्यों देखी जा रही है? क्योंकि जो व्यक्ति इतना हिंसक, वहशी और दरिंदगी के विचारों से भरा है उसे उम्र के आधार पर छोड़ना नहीं चाहिए। उसे दण्ड मिलना ही चाहिए। निश्चय ही माननीय न्यायालय इस निर्णय पर पुनर्विचार करें।
निर्भया कांड के आरोपी को रिहा करने केे विरोध में दिनांक 21 दिसंबर को गांधी प्रतिमा के सामने जागरूकत समाजजनों व नारी शक्ति द्वारा विरोध प्रदर्शन किया गया । प्रदर्शन में सुश्री चतुरा रास्कर मंत्री कस्तूरबा गांधी ट्रस्ट, अर्चना जायसवाल अध्यक्ष महिला सशक्तिकरण महासंगठन, उषा उकांडे, शर्मिला घोलपुरे, सविता इनामदार, सुनिता सक्सेना, निरू शर्मा, नीता वैष्णव, रेणु लश्करी, साधना भण्डारी, सरिता काला, उषा वर्मा, उषा गुप्ता, शीला जायसवाल, शकुन चैकसे, योगिता जैन, दिलीप ठक्कर, यशपाल गेहलोत, मनीष अजमेरा, शीला पोरवाल आदि उपस्थित थे।